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Friday 5 September 2014

दिल ही दिल में दहक रहे हैं

दिल ही दिल में दहक रहे हैं
दर्द के आंसू छलक रहे हैं
जाने कितने ग़म ले कर
पी कर हाला बहक रहे हैं
ये तो तेरी महफ़िल है जो
पल दो पल को चहक रहे हैं
जीवन अपना उजड़ा गुलशन
फिर भी फूलों सा महक रहे हैं
इक मुद्दत के बाद मिले हो
सारे अरमां मचल रहे हैं

मुकेश इलाहाबादी -----------

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