एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Saturday 11 October 2014
देख रहा ज़माना उसे साँसे रोक के
देख रहा ज़माना उसे साँसे रोक के
निकला है चाँद बादलों की ओट से
मुकेश इलाहाबादी -----------------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment