Pages

Tuesday 20 January 2015

दिले दरवाज़ा खोलो तो

दिले दरवाज़ा खोलो तो
तुम भी कुछ  बोलो तो

मन हल्का हो जाता है
ग़म आये औ रो लो तो

इतने सादे सादे क्यूँ हो
रंग  प्यार के घोलो तो

हवा चले है मतवाली
संग पुरवाई डोलो तो

मुकेश इलाहाबादी ---

No comments:

Post a Comment