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Thursday, 8 January 2015

आग पे चल के देखो तो

आग पे चल के देखो तो
दुनिया बदल के देखो तो
यूँ घर में छुप कर बैठे हो
बहार निकल के देखो तो
कांटो से क्या डरना प्यारे
फूल सा खिल के देखो तो
हैं कितने प्यारे चंदा - तारे
खिड़की खोल के देखो तो
मै भी इक अच्छा इंसां हूँ
मुझसे मिल के देखो तो
मुकेश इलाहाबादी -------

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