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Thursday 26 March 2015

नदी होते तो अपना रुख मोड़ भी लेते

नदी होते तो अपना रुख मोड़ भी लेते
समंदर हो के भला बताओ कहाँ जाएं ?
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
(पंकज परिमल - की कविता से प्रेरित )

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