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Saturday, 16 May 2015

सब के सब मजबूर मिले

सब के सब मजबूर मिले
दर्द ओ ग़म से चूर मिले
केवल मै ही था गुमनाम
बाकी सब मशहूर मिले
जिस्मो की नजदीकी थी
दिलसे लेकिन दूर मिले

चेहरे हमने जितने देखे
सबके सब बेनूर मिले

दूजे की क्या बात करें ?
तुम भी तो मगरुर मिले


 मुकेश इलाहाबादी --------------

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