Pages

Wednesday 6 January 2016

गलतफहमी की नागफनी

सम्बन्धो की
सोंधी और नर्म
ज़मीन पे
गलतफहमी की
नागफनी
उगे और उग कर
उसके,
कोमल तन बदन
को छलनी करे
इसके लिए 
वह
खिलखिलाना चाह कर भी
मुस्कुरा के रह जाती है
और मुस्कुराने के वक़्त
सिर झुका के
खामोशी से
गुज़र जाती है
उस खूबसूरत पल से
दूर बहुत दूर 

मुकेश इलाहाबादी --

No comments:

Post a Comment