एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Friday, 1 January 2016
भले फासला बना के चलो
भले फासला बना के चलो
पर तुम साथ हमारे चलो
स्याह रात, रास्ता तवील
वक़्त कटे,गीत गाते चलो
इतनी चुप्पी अच्छी नहीं
किस्सा कोई सुनाते चलो
पहाड़, जंगल या खाई हो
रास्ता नया बनाते चलो
देखो ! महताब छुप गया
नक़ाब तुम उठा के चलो
मुकेश इलाहाबादी ------
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