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Tuesday 10 May 2016

अक्शर, बड़ी होती लड़कियाँ

बड़ी होती लड़कियाँ
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एक
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अक्शर,
बड़ी होती
लड़कियाँ
कारण - अकारण
छोटी या बड़ी
किसी भी बात पे
हंस देती हैं
खिल्ल खिल्ल
अगर वो अपनी
सहेली के साथ
या लड़कियों के झुण्ड में
हुईं तो धौल - धप्पा  करती हुईं
किसी भी बात पे
हंस - हंस के दोहरी
भी हो सकती हैं
पर,
ये हंसती हुई लड़कियाँ
ज़रा सी डाँट पे
सहम जाती हैं
और वापस ले लेती हैं
अपनी खुनक वाली
हँसी - हमेशा हमेशा के लिए
और फिर
कभी नहीं हँसती
और अगर कभी हंसती भी हैं
तो सिर्फ उतना
जितने की अनुमति होती है

दो
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अक्शर
बड़ी होती
लड़कियाँ
ग़ुम - शुम हो जाती हैं
और खो जाती हैं
अपने आप में
या जाने किस बियाबान में
और फिर ढूँढ़ने से भी
नहीं मिलती वे
बड़ी होती लड़कियाँ

अक्शर
यही बड़ी होती लड़कियाँ
खड़ी मिल जाती हैं
बॉलकनी या छत पे
बेवजह
निहारते हुए
आते जाते लोगों को
देर  तक और
बहुत दूर तक
जहाँ तक उनकी नज़र जाती है
या जहां पे जा के
सड़क मुड़ जाती है

तीन
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अक्शर
बड़ी होती
लड़कियां
जब,दिन भर के
खिलंदड़पन के बाद
सो जाती हैं
अस्त - व्यस्त तरीके से
और देखती हैं सपने
जिनमे होता है
रूई के फाहे सा
उड़ता बादल
एक घोडा
घोड़े पे बैठा राजकुमार
और नींद में ही
मुस्कुरा रही होती हैं
तभी एक सच्ची मुच्ची का
राक्षस आ के दबोच लेता है
और चीख पड़ती हैं
डर से ये बड़ी होती लड़कियाँ

कई बार
उनकी चीख से
राक्षस डर के भाग जाते हैं
पर कई बार वे
और जोर से दबोच ली जाती हैं

तब उनकी चीख
डूब जाती हैं अंदर ही अंदर
हमेशा हमेशा के लिए

और फिर
कभी नहीं वजह बेवजह हंसती
और अस्त व्यस्त तरीके से सोती हैं
ये बड़ी होती लड़कियाँ

उफ़ ! ये बड़ी होती लड़कियाँ

मुकेश इलाहाबादी ----------------

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