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Tuesday 3 May 2016

अंधेरी रातों में डूबा शहर देख जाओ

अंधेरी रातों में डूबा शहर देख जाओ
कभी तो आ के मेरा नगर देख जाओ

कोई मंज़िल नहीं फिर भी चल रहे हैं  
ऐसा  कारवां  ऐसा  सफ़र देख जाओ

तुम्हारे आ जाने से भी न बचेगी जान
मुकेश एक बार तुम,मगर देख जाओ

मुकेश इलाहाबादी --------------------

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