एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Sunday, 16 October 2016
यूँ ही नहीं, कारवाँ तुमको मुड़ मुड़ के देखता है
यूँ ही नहीं, कारवाँ तुमको मुड़ मुड़ के देखता है
कुछ तो ज़माने से अलहदा देखा होगा तुममे ,,
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
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