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Wednesday 11 January 2017

आज भी हर सांझ, चाँद के उगते ही

आज भी
हर सांझ,
चाँद के उगते ही
खिल उठता है,
महकता है रजनीगंधा
इस उम्मीद के पे
शायद आज तो तुम उतरोगे
चांदनी बन के
तब
लिपट के करेंगे केलि

मुकेश इलाहाबादी ---

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