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Friday 20 January 2017

ख्वाबों ख्यालों में जिसे देखता रहा

ख्वाबों ख्यालों में जिसे देखता रहा
है तू वही चेहरा जिसे मैं ढूँढता रहा

इक  बार छुआ  था तुमने आँखों से
फिर मेरा वज़ूद ताउम्र महकता रहा

बादलों से निकला, इकपल को चाँद
फिर शबभर बदन मेरा सुलगता रहा

मुकेश इलाहाबादी ----------------

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