एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Friday, 20 January 2017
चाँद के उगने से, या फिर गुलों के खिलने से
चाँद के उगने से, या फिर गुलों के खिलने से
याद रखता हूँ तुझे किसी न किसी बहाने से
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment