Pages

Saturday 18 March 2017

आदम ने होठों पे, प्रेम गीत सजाए

आदम ने
होठों पे,
प्रेम गीत सजाए

ईव बांसुरी बन गईं


आदम,
कि इच्छा थी
सूरज बन जाये

ईव - फूल बन खिल गयी

आदम,
बादल बन बरसा
ईव - धरती बन भीगती रही
लहराती रही अपना धानी आँचल


सुमी,
मेरी ईव सुन रही हो न ??

मुकेश इलाहाबादी ----------------







No comments:

Post a Comment