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Sunday 19 March 2017

आप की सादगी आप की हंसी

आप की सादगी आप की हंसी
न कभी देखी है, न कंही सूनी

होंटों पे ये छुपी -छुपी मुस्कान
बादलों से छन के आती चांदनी

कँवल से भी कोमल है बदन
हया से समेटे पंखुरी - पंखुरी

मुकेश इलाहाबादी -----------

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