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Wednesday 10 May 2017

होगी सुबह होते होते

होगी सुबह होते होते
कटेगी रात रोते रोते

निशाने इश्क़ जाएँगे
आँसुओं से धोते धोते

बेतरह  थक  गया हूँ
तेरी यादें ढोते - ढोते

तमाम उम्र  काट  दी 
बिस्तर पे सोते सोते

मुश्किल से मिला है
मेरा चाँद खोते खोते


मुकेश इलाहाबादी ----



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