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Tuesday 16 May 2017

तुम, जब चलती हो ले के माथे, पे घूंघट

तुम,
जब, चलती हो ले के
माथे,
पे घूंघट,
हथेलियों पे मेहंदी,
कलाइयों में,
खन -खन चूड़ियाँ
छम - छम करती पायल
महावर लगे पाँव

तब देवताओं का भी आसान डोलता है

मुकेश इलाहाबादी ---------------------

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