एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Monday 22 May 2017
वो तो तेरे ख्वाब हैं, जो लोरियां सुना,सुला जाते हैं वरना नींद कहाँ आती है कमबख्त स्याह रातों में मुकेश इलाहाबादी ------------------------
वो तो तेरे ख्वाब हैं, जो लोरियां सुना,सुला जाते हैं
वरना नींद कहाँ आती है कमबख्त स्याह रातों में
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment