तुम्हारी
हंसी की श्वेताभ किरणे
मेरे उदास चेहरे को भी
जगमग कर जाती हैं
और मै बच जाता हूँ
अंधेरे कुंए में डूबने से ...
मुकेश इलाहाबादी ---
हंसी की श्वेताभ किरणे
मेरे उदास चेहरे को भी
जगमग कर जाती हैं
और मै बच जाता हूँ
अंधेरे कुंए में डूबने से ...
मुकेश इलाहाबादी ---
No comments:
Post a Comment