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Monday 10 July 2017

इसके पहले कि

इसके पहले कि

उम्र,
मेरी आँखों में
मोतियाबिंद उतार दे
और वे धुंधला देखने लगें
तुम्हे देख लेना चाहता हूँ
जी भर के - और बसा लेना चाहता हूँ
आँखों में - उम्र भर के लिए

इसके पहले कि
याददास्त कमज़ोर हो
मुझे तुम्हारा नाम याद करने में वक़्त लगे
तुम्हे याद कर लेना चाहता हूँ
पूरी तसल्ली से

इसके पहले कि
मेरे पार्किंसन से हिलते हाथ
तुम्हारे स्पर्श को महसुने में असमर्थ हों
तुम्हारा स्पर्श हथेलियों में क़ैद कर लेना चाहता हूँ

इसके पहले कि
मै विदा हो जाऊँ
तुम मिल जाओ एक बार

मुकेश इलाहाबादी -----------

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