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Friday, 4 August 2017

आईना छन्न से टूट जाता है

तुम
तैयार हो के बालों में
कंघी कर रही हो
मै पीछे से आकर
तुम्हारे बालों में फूल टांक देता हूँ
तुम मुस्कुरा कर आईना देखती हो
आईने में हम दोनों साथ साथ
नज़र आ रहे हैं
तुम्हारे कंधे पे मेरी ठुड्डी टिकी है
तुम मुस्कुरा रही हो
मै तुम्हे खुश हो कर चूमना चाहता हूँ
तुम खिलखिला कर मुझे गले लगा लेना चाहती हो
हड़बड़ी और जल्दी में तुम्हारे हाथ से आईना छूट जाता है
आईना छन्न से टूट जाता है
हम तुम कई कई हिस्सों में बट जाते हैं

(काश आईना न टूटा होता ?)

मुकेश इलाहाबादी -----------------------------

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