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Thursday 10 May 2018

तुम हर वक़्त ऑन लाइन रहा करो

अल्ल - सुबह
"गुड़ मॉर्निंग" से ले कर देर रात "गुड़ नाइट मेसज"
और अनवरत
थोड़े थोड़े अंतराल में
ऍफ़ बी और व्हाट्स -ऐप  के
तुम्हारे अपडेट्स और तमाम मेसेजेस 

हमारे
दरम्यां फ़ैली दूरियों की
अथाह खाई पे
वास्तविक नही तो
कम से कम आभाषी ही सही
एक पुल तो तामील करते ही हैं
कभी ऍफ़ बी तो कभी व्हाट्स ऐप पे
जिसके ऊपर चल कर
मिलन के आभाषी बिंदु पर पंहुच जाता हूँ
अनगिनत बार - हर रोज़
इस लिए तुम्हारा
हर वक़्त ऑन लाइन रहना मेरे लिए
लाइफ लाइन की तरह है
तुम्हारे ऍफ़ बी अकाउंट की जलती हुई ये हरी बत्ती
मेरे लिए किसी जीवन ज्योति से कम नहीं है।
सुन रही हो न सुमी ??

इस लिए तुम हर वक़्त ऑन लाइन रहा करो
भले ही मेरे मेसज का जवाब दो या न दो।

मुकेश इलाहाबादी ----------------------

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