हंसी नहीं आती खिलखिलाहट नहीं आती
किसी तरह चेहरे पे मुस्कराहट नहीं आती
वो कोई और साल और महीने और दिन थे
अब सुहाने मौसमो में तेरी याद नहीं आती
खुशी के चाहे जितने गेंदा गुलाब खिला लूँ
वो पहले सी ताज़गी और सुवास नहीं आती
भले ही वे पुराने दिन मुफलिसी के दिन थे
पर मुकेश अब रईसी में वो बात नहीं आती
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
किसी तरह चेहरे पे मुस्कराहट नहीं आती
वो कोई और साल और महीने और दिन थे
अब सुहाने मौसमो में तेरी याद नहीं आती
खुशी के चाहे जितने गेंदा गुलाब खिला लूँ
वो पहले सी ताज़गी और सुवास नहीं आती
भले ही वे पुराने दिन मुफलिसी के दिन थे
पर मुकेश अब रईसी में वो बात नहीं आती
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
किसी तरह चेहरे पे मुस्कराहट नहीं आती
वो कोई और साल और महीने और दिन थे
अब सुहाने मौसमो में तेरी याद नहीं आती
खुशी के चाहे जितने गेंदा गुलाब खिला लूँ
वो पहले सी ताज़गी और सुवास नहीं आती
भले ही वे पुराने दिन मुफलिसी के दिन थे
पर मुकेश अब रईसी में वो बात नहीं आती
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
किसी तरह चेहरे पे मुस्कराहट नहीं आती
वो कोई और साल और महीने और दिन थे
अब सुहाने मौसमो में तेरी याद नहीं आती
खुशी के चाहे जितने गेंदा गुलाब खिला लूँ
वो पहले सी ताज़गी और सुवास नहीं आती
भले ही वे पुराने दिन मुफलिसी के दिन थे
पर मुकेश अब रईसी में वो बात नहीं आती
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
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