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Monday, 7 May 2018

हंसी नहीं आती खिलखिलाहट नहीं आती

हंसी नहीं आती खिलखिलाहट नहीं आती
किसी तरह चेहरे पे मुस्कराहट नहीं आती

वो कोई और साल और महीने और दिन थे
अब सुहाने मौसमो में तेरी याद नहीं आती

खुशी के चाहे जितने गेंदा गुलाब खिला लूँ
वो पहले सी ताज़गी और सुवास नहीं आती

भले ही वे पुराने दिन मुफलिसी के दिन थे
पर मुकेश अब रईसी में वो बात नहीं आती 

मुकेश इलाहाबादी -------------------------
किसी तरह चेहरे पे मुस्कराहट नहीं आती

वो कोई और साल और महीने और दिन थे
अब सुहाने मौसमो में तेरी याद नहीं आती

खुशी के चाहे जितने गेंदा गुलाब खिला लूँ
वो पहले सी ताज़गी और सुवास नहीं आती

भले ही वे पुराने दिन मुफलिसी के दिन थे
पर मुकेश अब रईसी में वो बात नहीं आती 

मुकेश इलाहाबादी -------------------------

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