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Friday 11 May 2018

उसने , कहा

उसने ,
कहा  'ख़ुदा तुमसे पूछे,
तुम्हे क्या चाहिए ? तो क्या कहोगे ?"
मैंने मुस्कुरा कर कहा "सारी क़ायनात ,,,"
ये सुन उसने, अपने हाथो से
मेरी हथेलियों की अंजुरी बनाई,
फिर उसपे
सबसे पहले रखे  अपने होठं
फिर कपोल
फिर पलकें
फिर फुसफुसा कर कहा "और कुछ ,,,,,?
फिर , मैंने भी उसके कंधे पकड़
गले लगा कर कहा, फुसफुसाते हुए  "'नहीं ! अब और कुछ भी नहीं ""

मुकेश इलाहाबादी ------------------------------------------
 

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