हर रोज़ सुबह उठते ही तेरी तस्वीर देख लेता हूँ
दिन भर के लिए ख़ुद को ताज़गी से भर लेता हूँ
तुझको क्या मालूम,तेरी हँसी चांदी के सिक्के हैं
तू हँसती हैं मै चुपके अपनी से झोली भर लेता हूँ
मुकेश दिल अपना जब कभी उदास होता है, तो
तेरी तस्वीर सामने रख,जीभर बातें कर लेता हूँ
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------
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