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Sunday 9 December 2018

कुछ तमन्नाएँ कुछ फरियाद ले कर

कुछ तमन्नाएँ कुछ फरियाद ले कर
जी रहा हूँ,सिर्फ तुम्हारे ख़्वाब ले कर

सोचा था इक घर बसाऊँगा तेरे साथ
जा रहा हूँ अपना दिल बर्बाद ले कर

अब तक तो बहा खामोश दरिया सा
आज के बाद मै बहूँगा सैलाब ले कर

वैसे तो पीने का मुझे कोई शौक़ नहीं
आज मै पिऊँगा तुम्हारा नाम ले कर

ग़मे ईश्क़ भर होता तो मै सुना देता
कहाँ जाऊँ मै अपने ग़म हज़ार ले कर

मुकेश इलाहाबादी -------------------

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