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Thursday 14 February 2019

हंगामा मचा रहता है मेरे सीने में

हंगामा मचा रहता है मेरे सीने में 
कोई है जो चीखता है मेरे सीने में  

न सूरज न चाँद न सितारे है फिर    
कौन रोशनी रखता है मेरे सीने में  

रात होते ही बर्फ सा जम जाता हूँ 
दिन बर्फ सा गलता है मेरे सीने में

रह रह के चीख पड़ते हैं मेरे ज़ख्म
कौन है अंगार रखता है मेरे सीने मे

इस दिल मकाँ में कोई रहता नहीं 
फिर कौन टहलता है मेरे सीने में 

मुकेश इलाहाबादी --------------

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