प्रेम
से लबालब कविता का
भाव हो तुम
रस हो तुम
से लबालब कविता का
भाव हो तुम
रस हो तुम
ओर
'मै' शब्दों के बीच का
खालीपन
'मै' शब्दों के बीच का
खालीपन
इस खालीपन भर सकती है
न तो धूप
न हवा
न पानी
न वेद की ऋचाएँ
न कोई शुक्ति वाक्य
न तो धूप
न हवा
न पानी
न वेद की ऋचाएँ
न कोई शुक्ति वाक्य
इस रिक्त स्थान को
भर सकती हैं तो, बस
तुम्हारी खिलखिलाती हँसी
और
मेरे प्रति तुम्हारे
'प्रेम' की स्वीकृति
भर सकती हैं तो, बस
तुम्हारी खिलखिलाती हँसी
और
मेरे प्रति तुम्हारे
'प्रेम' की स्वीकृति
मुकेश इलाहाबादी ------
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (26-02-2020) को "डर लगता है" (चर्चा अंक-3623) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (26-02-2020) को "डर लगता है" (चर्चा अंक-3623) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'