जिधर भी नज़र डालो उधर ही कोरोना है
हर तरफ कोरोना है कोरोना है कोरोना है
हफ़्तों हो गए हैं सभी का बस यही रोना है
घर में बंद रहना खाना बतियाना सोना है
सभी मानवीय व्यवस्थाएं हो गईं ध्वस्त
कहीं चुप्पी कहीं सिसकी कहीं पे रोना है
इंसानियत बदहवास है सरकारें बेबस हैं
हर कोइ कह रहा है कोरोना है कोरोना है
छोटा हो बड़ा हो या फिर राजा हो रंक हो
हर दिल में दहशत है कोरोना है कोरोना है
एहतियात से रहो दूरियां बना के रहो कि
ये जो हमारा दुश्मन कोरोना है कोरोना है
मुकेश इलाहाबादी ----------------
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