तुम्हारे
बारे में सोचना
ताज़ा खिले ओस में नहाये
गुलाब के बारे में सोचना है
बारे में सोचना
ताज़ा खिले ओस में नहाये
गुलाब के बारे में सोचना है
तुम्हारी
बाँहों को
छूने की कल्पना
अखरोट के पेड़ की मुलायम डाल
को छूने सहलाने जैसा है
बाँहों को
छूने की कल्पना
अखरोट के पेड़ की मुलायम डाल
को छूने सहलाने जैसा है
तुम्हारी हँसी
सुनना बहुत ऊंचाई से गिरते
जलप्रपात की दूधियाँ धार की
आवाज़ को सुनना है
सुनना बहुत ऊंचाई से गिरते
जलप्रपात की दूधियाँ धार की
आवाज़ को सुनना है
तुम्हारी यादों में होना
गर्म थपेड़ों के बाद
बारिश की ठंडी फुहार में
भीगने जैसा है
गर्म थपेड़ों के बाद
बारिश की ठंडी फुहार में
भीगने जैसा है
तुम्हारे साथ होना
एक उत्सव में होना होता है
एक उत्सव में होना होता है
रंग - बिरंगे मेले में होना है
मुकेश इलाहाबादी ---------
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (04 मई 2020) को 'बन्दी का यह दौर' (चर्चा अंक 3691) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
वाह। सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteअहसासों की सीधी सरल अभिव्याक्ति
ReplyDelete