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Saturday, 18 July 2020

सलीके से रास्ता बदल लिया उसने

सलीके से रास्ता बदल लिया उसने
ज़रा भी पता न लगने दिया उसने

ज़ुल्मो सितम की बातें क्या बताऊँ
संग मेरे क्या क्या न किया उसने

मै खुद को होशियार समझता था
बड़ी चालाकी से थोखा दिया उसने

हमने तो दोस्ती निभाई शिद्दत से
दोस्ती का अच्छा सिला दिया उसने

जो सोचता था जुदा हो के खुश होगा
सुना बिछड़ के शब भर पिया उसने

मुकेश इलाहाबादी -----------

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