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Friday, 17 July 2020

जिससे -जिससे यारी रही

जिससे -जिससे यारी रही 
उसी से दुश्मनी सारी रही 

मौत सगी न राजा न रंक 
न हमारी न तुम्हारी रही 

इश्क़ की मय क्या पी ली 
फिर उम्र भर ख़ुमारी रही 

दामन साफ़ सुथरा रक्खा 
यही अपनी हुशियारी रही 

तसल्ली इस बात की मुझे 
आज भी तेरी मेरी यारी है 

मुकेश इलाहाबादी -------

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