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Thursday, 3 September 2020

हँस दे तो झरना बहता है बोले तो झरते हैं मोती

 हँस दे तो झरना बहता है बोले तो झरते हैं मोती 

नदिया जैसी कल कल करती उसकी मीठी बोली


चिड़िया जैसे उड़ती फिरती है कोयल सा है गाती 

फूलों जैसा खिली खिली है कलियों सा मुस्काती 


खट्टी अमिया खा कर करती है मीठी मीठी बातें 

प्यार की बात करो तो झट से है मुँह चिढ़ा जाती 


सात समुन्दर उसकी आँखे आँचल उसका धानी 

सजधज कर निकले जब लगती परियों की रानी 


हँसाना रोना लड़ना लड़ना झगड़ना लगता प्यारा 

मुक्कू उस बिन मुझको दुनिया लगती है बीरानी 

 

मुकेश इलाहाबादी -------------------------------

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