हँस दे तो झरना बहता है बोले तो झरते हैं मोती
नदिया जैसी कल कल करती उसकी मीठी बोली
चिड़िया जैसे उड़ती फिरती है कोयल सा है गाती
फूलों जैसा खिली खिली है कलियों सा मुस्काती
खट्टी अमिया खा कर करती है मीठी मीठी बातें
प्यार की बात करो तो झट से है मुँह चिढ़ा जाती
सात समुन्दर उसकी आँखे आँचल उसका धानी
सजधज कर निकले जब लगती परियों की रानी
हँसाना रोना लड़ना लड़ना झगड़ना लगता प्यारा
मुक्कू उस बिन मुझको दुनिया लगती है बीरानी
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------
No comments:
Post a Comment