एक दुःस्वप्न
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एक
दिन परवरदिगार ने
रहम कर के
फ़लक से रोटियां
बरसानी शुरू कर दी
ये देख
आनन - फानन में
कुछ बिज़नेस टाइकून
अपने - अपने जहाज़ ले कर
उड़ गए और उन्होंने
फलक पे ही
सारी की सारी रोटियां लोक लीं
और अब उसे ज़मीं पे
मनमाने दामों में बेच रहे हैं
मुकेश इलाहाबादी ---------
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