आज भी घर अपना सजाये हुए हैं
तेरी तस्वीर दिल से लगाये हुए हैं
शब भर महके है मेरा घर आँगन
यादों की रातरानी खिलाये हुए हैं
हिचकियाँ नही आती ये और बात
ऐसा भी नहीं तुझको भुलाये हुए हैं
तेरे नाम की तहरीर पढ़ न ले कोई
मुहब्बत तेरी सबसे छुपाये हुए हैं
तूने आज शायद हाँ कह दिया है
मुक्कू इसी बात पे इतराये हुए हैं
मुकेश इलाहाबादी ----------------
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