साथ वक़्त के साथ बदल जाओगे पता न था
तुम भी औरों की तरह निकलोगे पता न था
कारवाँ में हमारे जिस्म साथ साथ चलेंगे पर
दिलो दिमाग़ से तम दूरी रखोगे पता न था
सोचता था मिलोगे तो ढेर सारी बातें करेंगे
हम ही बोलेंगे तुम यूँ चुप रहोगे पता न था
तुमने नज़्म लिखा रुबाई लिखा हमने पढ़ा
तुम मेरा दर्दे दिल भी न पढोगे पता न था
हमें नाज़ था तुम हमारे हो हमारे ही रहोगे
तुम किसी और के हो जाओगे पता न था
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
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