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Sunday, 29 November 2020

वक़्त के साथ साथ बदल जाओगे पता न था

 साथ वक़्त के साथ बदल जाओगे पता न था 

तुम भी औरों की तरह निकलोगे पता न था 


कारवाँ में हमारे जिस्म साथ साथ चलेंगे पर 

दिलो दिमाग़ से तम दूरी रखोगे पता न था 


सोचता था मिलोगे तो ढेर सारी बातें करेंगे 

हम ही बोलेंगे तुम यूँ चुप रहोगे पता न था 


तुमने नज़्म लिखा रुबाई लिखा हमने पढ़ा 

तुम मेरा दर्दे दिल भी न पढोगे पता न था 


हमें नाज़ था तुम हमारे हो हमारे ही रहोगे 

तुम किसी और के हो जाओगे पता न था  


मुकेश इलाहाबादी -------------------------

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