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Saturday 20 February 2021

दोस्ती भी हमी से दुश्मनी हमी से

 दोस्ती भी हमी से दुश्मनी हमी से

ख़फ़ा भी हमी से रजा भी हमी से
बात ईश्क़ की वो करती नहीं पर
हाँ जहान की बात करती हमी से
कभी फ़ूल सा महके है तो कभी
खुशबू बन के लिपटती हमी से
चाहत तो है खुल के मिले मगर
खुद को छुपा के रखती हमी से
अजब चाहत है उसकी ईश्क़ में
मौत भी चाहे ज़िंदगी भी हमी से
मुकेश इलाहाबादी -------------

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